उत्सर्जन मानक (Emission Norms) क्या हैं?

भारत स्टेज उत्सर्जन मानक (Bharat Stage Emission Standards - BSES) भारत सरकार द्वारा स्थापित किए गए प्रदूषण नियंत्रण मानक हैं जो मोटर वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए हैं। जैसे-जैसे हम BS2 से BS3, BS4 और अब BS6 की ओर बढ़े हैं, ये मानक और भी सख्त होते गए हैं। इनका मुख्य उद्देश्य वाहनों से निकलने वाले हानिकारक प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) को कम करना है।

BS4 और BS6 में मुख्य अंतर:

2020 में BS4 से सीधे BS6 पर जाना भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग में एक क्रांतिकारी कदम था। इनके बीच सिर्फ प्रदूषण का ही नहीं, बल्कि तकनीक का भी बड़ा अंतर है:

  • सल्फर की मात्रा: यह सबसे बड़ा अंतर है। BS6 ईंधन में सल्फर की मात्रा BS4 ईंधन की तुलना में 5 गुना कम होती है (10 ppm vs 50 ppm)। ईंधन में कम सल्फर होने से इंजन कम हानिकारक गैसें उत्सर्जित करता है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जन: BS6 डीजल वाहनों में NOx उत्सर्जन को 70% तक और पेट्रोल वाहनों में 25% तक कम किया गया है। इसके लिए डीजल कारों में SCR (Selective Catalytic Reduction) या LNT (Lean NOx Trap) तकनीक का उपयोग किया जाता है।
  • पार्टिकुलेट मैटर (PM): BS6 वाहनों, विशेषकर डीजल कारों में, DPF (Diesel Particulate Filter) लगाना अनिवार्य है जो हानिकारक कणों को फिल्टर करता है।

BS6 फेज़ 2 क्या है? (RDE नॉर्म्स)

BS6 फेज़ 2, जिसे RDE (Real Driving Emissions) नॉर्म्स भी कहा जाता है, अप्रैल 2023 से लागू हुआ। यह BS6 का और भी सख्त और व्यावहारिक रूप है।

मुख्य अंतर: पहले, वाहनों का उत्सर्जन परीक्षण केवल एक लैब में नियंत्रित परिस्थितियों में किया जाता था। लेकिन RDE के तहत, वाहनों को वास्तविक सड़क पर चलते समय (Real-time) उत्सर्जन मानकों को पूरा करना होता है। इसका मतलब है कि आपकी कार ट्रैफिक में, हाईवे पर, या पहाड़ों पर चलते समय भी निर्धारित सीमा से अधिक प्रदूषण नहीं कर सकती।

इसके लिए, BS6 फेज़ 2 वाली गाड़ियों में एक ऑन-बोर्ड डायग्नोस्टिक्स (OBD-2) डिवाइस लगाई गई है जो लगातार उत्सर्जन स्तरों की निगरानी करती है। अगर यह किसी भी खराबी का पता लगाती है, तो डैशबोर्ड पर एक चेतावनी लाइट जल जाती है।

आम आदमी पर इसका क्या असर पड़ता है?

  • कीमत: BS6 फेज़ 2 वाहन थोड़े महंगे होते हैं क्योंकि उनमें एडवांस तकनीक और अतिरिक्त हार्डवेयर (जैसे OBD-2) लगा होता है।
  • माइलेज: हालांकि नए इंजन अधिक कुशल हैं, लेकिन उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ तकनीकों के कारण माइलेज में मामूली कमी आ सकती है। हालांकि, कंपनियां इसे बेहतर इंजन ट्यूनिंग से संतुलित करने की कोशिश करती हैं।
  • रखरखाव: नए वाहनों का रखरखाव थोड़ा जटिल हो सकता है और उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता हो सकती है, जैसे कि डीजल वाहनों में DPF की सफाई।